आज मां तुम बहुत याद आ रही हो
आज मां तुम बहुत याद आ रही हो …
वह बचपन के दिन वो तेरा आंचल..
आंखों में पानी भर जाता है …
मां …तुम बहुत याद आ रही हो..
दुनिया में ऐसा कोई नहीं ..
मां …जो तेरे जैसा हो …
देखती हूं ,जब किसी बच्चे को मां के गले लगते हुए..
सच कहूं ,जान निकल जाती है…
मां …तुम बहुत याद आ रही हो
एक दिन बिन बताए ,घर गई थी…
मां …तुम वहां न मिली थी,
दरवाजे पर ताला देख ,
मां ..न जाने में कितने ख्यालों मैं, खो गई थी…
एक पल में ऐसा लगा कि मैं ,
सारे जहां को खो चुकी हूं ,
मां …
ताला तुम्हारे दरवाजे का ,
और मेरे मन का ताला खोलना..
शब्दों में नहीं कह सकती ,
एक पल का सूनापन सा…
मां ….तुम क्या हो यह कह पाना मुश्किल होगा ..
उस पल में तुमसे ज्यादा ,मुझे वो लोग याद आ रहे थे,
जिनके पास उनकी मां नहीं होती,
मां …तुम मुझे बहुत याद आ रही हो …
मां …तुम मुझे बहुत याद आ रही हो||