आज भी अधूरा है
#दिनांक:-21/10/2023
#शीर्षक:-आज भी अधूरा है।
बदल गया समय ,
बदल गए हालात ,
बदल गई उलझनें,
बदल गई कायनात।
बदल गई आदतें,
बदल गई राहतें,
बदल गए चेहरे,
बदल गए तेवर,
बदल गए स्वाद घेवर,
बदल गया जख़्म का स्वरूप,
बदल गई हर नज्म,
बदल गई आहटें,
बदल गई सिलवटें,
बदल गए फैशन,
बदल गई रौशनी एकदम,
बदल गई आह,
बदल गई चाह,
बदल गया आईना ,
बदल गई हसीना ,
बदल गए ऋतुराज ,
बदल गए हर राज़,
बदल गई पुरानी रस्में,
बदल गया दुल्हन अक्स,
बदल गए इंसान,
बदल गए तरीके सम्मान देने के,
अगर कुछ नहीं बदला है तो ,
वह है प्रेम!
जो पहले भी अधूरा था ,
आज भी अधूरा है ,
और कल भी अधूरा ही रहेगा।
चाहत जिससे भी जिसे होगी ,
वो कभी नसीब में नहीं होगा,
अगर नसीब बन गया तो,
वह मुहब्बत ही नहीं होगा,
इश्क़ अश्क के बिना अधूरा रहेगा,
याद हर घाव को भरता कुरेदता रहेगा |
रचना मौलिक, स्वरचित और सर्वाधिकार सुरक्षित है।
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई