आज फिर
आज फिर तनहाई में तुम्हे याद किया है ।
आज फिर दिल के बंधन को आजाद किया है ।
आज फिर ये हवाएँ तेरा पैगाम लाई है ।
आज फिर कोई चिठ्ठी मेरे नाम आई है ।
आज फिर मैने तुमको सपनों में देखा है ।
आज फिर कोई तीर मेरे दिल पे तुमने फेंका है ।
आज फिर कोई मुझसे मिलने को आया है ।
आज फिर मेरे सामने मेरा ही साया है ।
आज फिर एक तोहफा अनमोल आया है ।
आज फिर मेरे यार का Miscall आया है ।
……..मुकेश पाण्डेय