आज न रोको मुझको
आज न रोको मुझको
वक़्त के दरिया मे बह जाने दो
लम्हा लम्हा साथ लिये
लहरों पर गोते खाने दो…
अब तलाश खत्म हुई
क़तरा क़तरा उम्र मुठ्ठी में भीचें
निकल पड़ी मैं लहर लहर
मुझे सागर से मिल जाने दो…..
सर्द सर्द हवा झोंके
सपनों के मानिंद आँखों में
प्रेम पिया का रूह तक मेरी
अमृत सा धुल जाने दो…..
रोम रोम कंपित कंपित
मधुर मिलन की आस लिये
आशा की कलियों को
पुष्प सा खिल जाने दो….
@*नम्रता सरन ‘ सोना ‘*