आज नहीं तो कल होगा – डी के निवातिया
आज नहीं तो कल होगा
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ज्यों ज्यों जग पाप बढ़ेगा
कलयुग का प्रताप बढ़ेगा,
अधर्म का युग भावी होगा,
हैवान सर पर हावी होगा
असत्य परिपूर्ण शिक्षा होगी
सच की अग्नि परीक्षा होगी
पांडवो के संग छल होगा
आज नहीं तो कल होगा !!
कितना और गिरेगा मानव
तन मन सब हो रहा दानव
हर रोज सीता हरण करेगा
द्रोपदी का वस्त्रहरण करेगा
कोई न माधव अब आएगा
कोई न अब लाज बचाएगा
स्वंय अंजुली जल भरना होगा
आज नहीं तो कल होगा !!
खुद को इतना तैयार कर ले
वक्त आये हथियार धर लें
तू ही शंकर तू ही काली
अपने मन का तू ही माली
तू कर्म शस्त्र का संधान कर
चल उठ पापो का संहार कर
बाजुओं में भरना बल होगा
आज नहीं तो कल होगा !!
नियति ने नित स्वाँग रचा है
वक्त नहीं अब शेष बचा है
भीष्म प्रतिज्ञा अनुष्ठान कर
अर्जुन बन अपना निशान कर
करना है जो खुद से कर ले
जीवन खुशियाँ झोली भर ले
उदय पुन: जीवंत फल होगा
आज नहीं तो कल होगा !!
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डी के निवातिया