आज धरा पर चाँद का मान मर्दन होगा
आज धरा पर चाँद का मान मर्दन होगा।
जब धरती पर सुहागिनों का मंगल होगा।
लगा हाथों में सुंदर मेहंदी लगी हुई होगी।
काँच की लाल लाल चूडियों से सजा होगा।।
आज धरा पर चाँद का मान भी मर्दन होगा।।
सोलह श्रंगार कर के सुहागिन जब सजी होगी।
धरती की शोभा भी कितनी ही अद्भूत होगी।।
आज धरा पर चाँद का मान भी मर्दन होगा।।
ले करवा की थाली ,हल्दी कुमकुम लगाकर।
सुहाग के लिए मीठे मीठे पकवान बना कर।।
माँग में सिंदूर शोभा देगा,
केशो में गजरा महका होगा।
आज धरा पर चाँद का मन मर्दन होगा
माथे पर सुहाग की बिंदिया चमक रही होगी।
कानों में झुमके और नाक में बाली होगी।
पैरों में महावर एक बार फिर सजाकर।
बिछुआ और पायल की झंकार बजेगी।।
आज धरा पर चाँद का मान मर्दन होगा।
पहन के लाल साड़ी में जब दुल्हन से सज कर सजनी,
साजन संग करवा चौथ का व्रत खोलेंगी।
तब धरती पर फिर से मंगल होगा।
दो रूहों का फिर से एक मिलन होगा।।
आज धरा पर चाँद का मान भी मर्दन होगा।।
संध्या चतुर्वेदी
अहमदाबाद, गुजरात