आज दिल बेचैन बड़ा है,
आज दिल बेचैन बड़ा है,
सामने ये बड़ा सवाल क्यों है?
दिल ने हर बार,
दिमाग को किया अनसुना।
आज दिमाग ने ना सुना,
तो ये बवाल क्यों है?
छोड़ आए थे किसी मोड़ पर,
अपनी यादों को हम।
फिर भी,
उस सुर्ख चेहरे का ख्याल क्यों है?
मन का किया तो पछताया
दिमाग़ का किया
तो भी नींद हराम क्यों है?
जब नही,
दिनों के दर्द
सालों के ग़म
सदियों की आहों का,
तो,
चंद लम्हों की खुशियों का
एहतेराम क्यों है?
आज दिल बेचैन बड़ा है,
सामने ये बड़ा सवाल क्यों है?