आज दिल खाॅमौस हैं,
( ग़ज़ल)
आज दिल खाॅमौस हैं, और क्या मैं करूं,।
जिंदगी का समय एक नगमा सा हैं, और क्या मैं करूं,।
हम तुम थे एक साथ वो दिन भी अब क्या बन गए याद,।
दिल रोता हैं, अब तो आजा तूं याद सताये दिन रात,।
मन में तूफ़ान सा हैं, और क्या मैं करूं,।
आज दिल खाॅमौस हैं, और क्या मैं करूं,।
मन मैरा रोया अब तेरी यादों में,।
आंखों से टपके आंसू तैरी ही यादों में,।
तूं कहां हैं, अब ऐ यारा दिल बैचेन हैं, अब क्या मैं करूं,।
कितने हंसी वो पल थे, याद हमें आते हैं,
जब खेलें थे,उन गलियों में याद आए,।
तैरे ही साथ गुजारें वो हंसी फल हमारें,।
आज दिल खाॅमौस हैं, और क्या मैं करूं,।।
लेखक—- जयविन्द सिंह नगारिया जी