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4 May 2021 · 1 min read

आज थोड़ा बैचैन हूं

नींद जल्दी खुल गई
ना अब कुछ सूझ रहा
मैं आज थोड़ा बैचैन हूं
ये मन कुछ बूझ रहा।।

होने का अनहोनी का
अब तो डर है लग रहा
मैं आज थोड़ा बैचैन हूं
दिल में कुछ हो रहा ।।

देखकर खबरें मौत की
ये दिल बैठा जा रहा
मैं आज थोड़ा बैचैन हूं
ये देश में क्या हो रहा।।

ये कैसी बीमारी है
ना कोई जान पा रहा
मैं आज थोड़ा बैचैन हूं
लगता सपना आ रहा।।

सपना ये है बहुत बुरा
ना ये अब भी जा रहा
मैं आज थोड़ा बैचैन हूं
दिल को सुकूं ना आ रहा।।

है बहुत परेशान सभी
मुश्किल से मैं भी जी रहा
मैं आज थोड़ा बैचैन हूं
बस कड़वे घूंट ही पी रहा।।

ऐसा डर पहले था नहीं
जाने ये कहां से आ रहा
मैं आज थोड़ा बैचैन हूं
जो ये अपनों को डरा रहा।।

बुरा सपना जल्द हो खत्म
ये कामना ईश्वर से कर रहा
मैं आज थोड़ा बैचैन हूं
इस आपदा से जो डर रहा।।

Language: Hindi
12 Likes · 2 Comments · 611 Views
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