आज तुम भी लगे हो हमें बदले-बदले।
हम पर गमों के बादल इस कदर बरसे।
जिन्दगी भर ही हम खुशियों को तरसे।।1।।
लब भी हमारे बिल्कुल ही हंसना भूले।
जैसे फूल गुलशन के हो महकना भूले।।2।।
जानें कितने मुसाफिर तिश्नगी से तरसे।
सारे के सारे ही सेहरा में चलते-चलते।।3।।
बंजारों की जिन्दगी भी खानाबदोश है।
सारी ही ये गुजर गई बस घूमते घूमते।।4।।
खिजां है आई बिन मौसम ए बहार में।
अबतो परिंदे भी शाखों से उड़के चले।।5।।
फर्जअदाएगी ना करो हमसे मिलने पे।
आज तुम भी लगे हो हमें बदले-बदले।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ