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26 May 2017 · 1 min read

आज तक चाहा जो मिला ही नही

2122/1212/22
जिंदगी से ——-हमें गिला ही नही
आज तक चाहा जो मिला ही नही
??
तीरगी आज ———-भी सताती है
प्यार का दीप —–जो जला ही नही
??
बस अकेले ही ———-दर्द सहना है
अब किसी से भी ——राब्ता ही नही
??
कैसे समझाऊं —अपने इस दिल को
कोई बाकी है ——फलसफ़ा ही नही
??
फायदा हाथ को ——मिलाने से क्या
जबकि दिल दिल से है मिला ही नही
??
दर्द “प्रीतम” उठा —–लूं लाखों मगर
मेरे लब पे कोई —–गिला ही नही
??
प्रीतम राठौर भिनगई
श्रावस्ती (उ०प्र०)

181 Views
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