आज जानकारियों का बढ़ गया भण्डार है
आज जानकारियों का बढ़ गया भण्डार है
आज जानकारियों का बढ़ गया भण्डार है
कुछ सच्ची कुछ झूठी , कुछ की महिमा अपरम्पार है
कुछ यू – ट्यूब पर चला रहे चैनल , कुछ के ब्लॉग बेमिसाल हैं
वेबसाइट के अंदाज़ भी निराले हैं , कुछ इन्स्टाग्राम , एफ़ बी , ट्विटर के मतवाले हैं
खे रहे हैं सब अपनी – अपनी नावें
कुछ को हासिल मंजिल, कुछ बीच मझधार हैं
व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी की अपनी ही माया है
फेसबुक , ट्विटर पर हर कोई छाया है
किसी के दुःख दर्द से , किसी को कोई फ़र्क नहीं पड़ता
सूचनाओं का बाज़ार गर्म होना चाहिए
गम किसी के कम हों न हों , क्यों सोचें
टी आर पी का खेल बदस्तूर चलते रहना चाहिए
कोई आविष्कार का बना रहा वीडियो तो कोई सुसाइड का
कोई डूबते हुए का बना रहा वीडियो, तो कोई तेज़ाब में नहा चुकी ……..का
किसी को फ़र्क पड़े तो पड़े क्यों
यू – ट्यूब से कमाई की राह निकलती रहनी चाहिए
आज जानकारियों का बढ़ गया भण्डार है
समाज अपनी ही तरक्की पर शर्मशार है
संस्कृति, संस्कारों को बचाने की आज चुनौती है
“ बाबे “ निकल रहे बहुरूपिये , ये अजब कसौटी है
नेता धर्म का कर रहे अतिक्रमण
राम के नाम पर लग रही बोली है
मंदिरों पर अंधाधुंध चढ़ावे चढ़ रहे हैं
झोपड़ी में लाल भूख से बिलख रहे हैं
कोरोना का भयावह रूप देखकर भी नहीं सुधरी दुनिया
इस भयावह त्रासदी में करोड़ों की उजड़ गयी दुनिया
“ बाबे “ सभी हो गए बिज़नेसमैन
गली – मुहल्लों में खुल रही इनकी दुकान है
प्रकृति से खिलवाड़ को समझ रहे तरक्की का सिला
कभी सुनामी कभी बाढ़ कभी भूकंप तो कभी कोरोना की मार है
पहाड़ों का दिल चीरकर कम कर रहे दूरी
अजब तरक्की का गजब बुखार है
कोरोना ने इंसान को कीड़े मकोड़ों की तरह कुचला
फिर भी इंसान का दिल इंसान की मौत पर नहीं पिघला
मंदिरों में घंटों की ध्वनि पर लग गया विराम
आज भी डीजे पर नाचने वालों को कहाँ आराम
आज अजब नज़ारे दिखा रही है ये धरा और ये आसमां
अभी भी चाहे तो संभल जा ए आदम की औलाद , अपनी जिन्दगी को नासूर न बना
तरक्की के मायने बदल, लिख सके तो लिख इबारत इंसानियत की तरक्की की
सजा सके तो सजा महफ़िल , खुदा की इबादत की
इस नायाब प्रकृति को बना अपनी जिन्दगी का हमसफ़र
सिसकती सांसों का बन मरहम , इस धरा को कर रोशन
आज जानकारियों का बढ़ गया भण्डार है
कुछ सच्ची कुछ झूठी , कुछ की महिमा अपरम्पार है ||