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14 Jul 2021 · 1 min read

— आज जम के बरसो —

आओ मेघा
बरसों मेघा
तन मन प्रफुल्लित कर दो

कुम्ला चुके हैं
पत्ते और इंसानी मन
उस में बरखा की
मेहरबानी कर दो

बरसो जम कर
हर आँगन
पानी से भर दो

तृप्त हो जाए धरती
खिल उठे उपवन
चेहकने लगे पक्षी
सब पर बोछारों
से बूंदे भर दो

मौसम हो जाए सुहाना
मुरझाये हुए तन
मन में रोमांच भर दो
कर दो खुशनुमा
धरती और गगन
आज बस मेघा
जम के बरसो
जम के बरसो !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
1 Like · 425 Views
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