आज के समाज का यही दस्तूर है,
आज के समाज का यही दस्तूर है,
नेक दिल इंसान का ना कोई वजूद है।
कलुषित हृदय से जो चाटुकारिता करे,
वही प्रिय मानव तो सबको मंजूर है।
…. अजित कर्ण ✍️
आज के समाज का यही दस्तूर है,
नेक दिल इंसान का ना कोई वजूद है।
कलुषित हृदय से जो चाटुकारिता करे,
वही प्रिय मानव तो सबको मंजूर है।
…. अजित कर्ण ✍️