आज के शेर
आज के शेर
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ख़ूब मलिये,
ज़ख़्मों पे नमक,
दर्द की इन्तहा
क्या है!!
हम जानते हैं।
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अपना पता बदलिये ,जनाब!!
आजकल इस पते पर
डाक नहीं आती है !!
कुछ धमकियाँ आती हैं ।।
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आना जाना इधर,
कम हो गया अपने घर।
लोगों का बस;
मतलब निकल गया है।
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भूल जाती हैं
किताबों की बातें ?
वक़्त गुज़र जाने के बाद
दिल पर लिखी बातें
गहरा जाती हैं
उम्र बीतने के साथ!!
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राजेश’ललित’
स्वलिखित
मौलिक