आज के युग में “प्रेम” और “प्यार” के बीच सूक्ष्म लेकिन गहरा अ
आज के युग में “प्रेम” और “प्यार” के बीच सूक्ष्म लेकिन गहरा अंतर है। प्रेम एक शाश्वत, निस्वार्थ और आत्मिक भावना है, जिसमें व्यक्ति अपने प्रिय के सुख-दुख में पूर्ण रूप से समर्पित होता है। यह मानवीय मूल्यों, आदर्शों और आत्मा का मेल है। प्रेम में स्वार्थ नहीं होता; यह त्याग, समर्पण और पवित्रता से परिपूर्ण होता है।
दूसरी ओर, “प्यार” अधिक सांसारिक और सहज है। यह आकर्षण, लगाव और भावनाओं का मिश्रण है, जो कभी-कभी भौतिक इच्छाओं या परिस्थितियों से प्रेरित होता है। प्यार में गहराई हो सकती है, परंतु यह क्षणिक भी हो सकता है। आज के युग में प्यार प्रायः त्वरित और सतही हो गया है, जबकि प्रेम अपने स्थायित्व और निस्वार्थता के कारण आज भी आदर्श रूप में देखा जाता है।
हिंदी ग़ज़ल:
“तेरा मेरा रिश्ता कैसा, ये प्यार या प्रेम का नाता,
पलकों में बसे सपने, या दिल में जमी मिट्टी का पता।
प्यार है क्षणिक नदी सा, प्रेम सागर का विस्तार,
प्यार है मीठा झोंका, प्रेम अनंत का आधार।
समझ सको तो समझ लेना, दोनों का अनमोल संसार