आज के जीवन की कुछ सच्चाईयां
छोड़ने जाते थे जब किसी को स्टेशन पर,
नम हो जाती थी हमारी आंखे स्टेशन पर।
आज आलम है अब इस मतलबी इंसान का,
नम नही होती उसकी आंखे शमशान पर।।
आज महंगाई के दौर में दाम इतने ऊंचे हो गए,
जन्म और मृत्यु के दाम भी आस्मां को छू गए।
सिजेरियन के बिना इस जहां में कोई आता नही,
वेंटिलेटर के बिना इस जहां से कोई जाता नही।।
कैसे हो पायेगी अब अच्छे इंसान की पहचान,
दोनो ही नकली हो गए है आंसू और मुस्कान।
इसकी पहचान करना तो अब मुश्किल हो गया,
जब से ये इंसान हो गया मतलबी और शैतान।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम