आज कुछ ऐसा लिखो
आज कुछ ऐसा लिखो
कल्पना को धार दे
लेखनी को भी लगे
सार्थक हो पाई मैं ।
गीत में जो विषय हो
हर हृदय की पीर हो ।
शब्द सब औषधि बने
अधीर मन को धीर हो ।
भाव ऐसी प्रीत के हो
जो हर एक जन मन गहे ।
मां हो अथवा प्रियतमा
बात वो सबकी कहे ।
हो पिता की सीख जिसमें
भाई-बहन का प्यार हो ।
संतान का माता पिता पर
दृढ़ प्रेम व विश्वास हो ।
प्रीत जिसमें राष्ट्र प्रति हो
जयगान गूंजे भारती ।
प्रेम हो सब विश्व में
संस्कृति यही पुकारती ।
गीत में कुछ लय हो ऐसी
जीवनी जो गढ़ सके ।
श्वांस के आवागमन का
इक नया संगम बने ।
प्रेरणा आयुष्य की हो
स्वास्थ्य व सम्मान की ।
गीत में लय प्रतिध्वनित हो
वेद मंत्रोच्चार की ।
नर में छवि हो राम की
नारी में छवि हो जानकी ।
आराधना हो सात्विकी
हर बात हो उत्थान की
बन्धुत्व के कल्याण की ।