आज की संस्कृति और नज़रिया
कल मैं बाज़ार में खड़ा था तभी वहां एक बाइक पर एक लड़का और एक लड़की आये। लड़की ने अपने चेहरे पर कपड़ा लपेटा हुआ था। मुझे उसका चेहरा पहचाना हुआ सा लगा। वो दोनों मुझसे कुछ दूरी पर आकर रुके। लड़की ने अपने चेहरे से कपड़ा हटाया तो मुझे यकीन हो गया कि मैंने उसे कहीं देखा हुआ है। कुछ देर सोचने पर याद आया की वो मेरे एक दोस्त जिसकी शादी अभी कुछ ही महीने पहले हुई थी, उसकी बीवी है। वो लड़का मेरे लिए बिलकुल अनजान था।
वो दोनों वहीँ खड़े होकर बातें करने लगे। दोनों बीच बीच में ज़ोर-ज़ोर से हंस रहे थे। मैं उनकी बातें सुन तो नहीं पा रहा था पर ये अंदाज़ा लगा पा रहा था कि दोनों बेहिचक एक दुसरे से हंस हंस कर बातें कर रहे थे। बीच बीच में वो दोनों हँसते हुए एक दुसरे को प्यार से हाथ भी मार रहे थे। अपने दोस्त की बीवी को किसी अंजान लड़के के साथ इस तरह बातें करते देख मुझे बहुत अजीब सा लग रहा था।
थोड़ी देर बाद वो लड़का गया और पास की एक दुकान से एक प्लेट में कुछ खाने को लेकर आया। और वो दोनों एक ही प्लेट में खाने लगे। कभी कभी वो दोनों एक दुसरे को अपने हाथों से भी खिला रहे थे। मुझे बहुत बुरा लग रहा था।
कुछ देर बाद मेरा एक दोस्त वहां मेरे पास आया और हम दोनों बातें करने लगे। जब उसने उन दोनों को देखा तो उसने मुझे बताया कि वो लड़का उसका भाई है।
उसकी ये बात सुनकर मैं जैसे ज़मीन में ही गड़ा सा जा रहा था। मुझे अपनी सोच पर शर्म आने लगी। मैं ये समझ नहीं पा रहा था कि आज के समय के कारण मेरी सोच ऐसी हुई या मेरी ऐसी सोच के कारण ये समय ऐसा हुआ। आखिर क्यों जब भी कोई लड़का और लड़की आपस में बात करते या हँसते हुए दिख जाते हैं तो हमारे मन में बुरे ही विचार आते हैं।
—————शैंकी भाटिया
12 जून, 2016