“आज की नारी”
मैं हूं आज की नारी
पूर्ण रूप से करने में हूं सक्षम
हर चुनौती का हंसकर सामना
साहस और आत्मविश्वास के बल पर
बनाई अपनी अलग पहचान
परिवार और कैरियर दोनों ही में
तालमेल बैठाती नारी का कौशल
कामयाबी के कदम चूमे
आर्थिक और मानसिक रूप से
बनी आज आत्मनिर्भर
सफलता की सीढ़ियों पर हो अग्रसर
जरूरत पड़ने पर अधिकारों को
हथियार बना आज हर क्षेत्र में
अपना लोहा मनवा रही
कल तक भावनात्मक रूप से
कमजोर नारी अपनी जिंदगी के
महत्त्वपूर्ण फैसले स्वयं लेकर
दांपत्य जीवन की खुशहाली के
आदर्श-बुलंदी से
कहे यूं
हां, सिर्फ मैं ही काफी हूं
आरती अयाचित
स्वरचित एवं मौलिक
भोपाल