आज की नारी
गीत
रंग बदला , रूप बदला ,
आज बदली नार है !!
द्वार घर आँगन सजाये ,
वहन जिम्मेदारियाँ !
कदम चौखट से परे जब ,
बढ़ रही दुश्वारियाँ !
समय का परिवेश नूतन ,
टूटती दीवार है !!
आज दामन को सँभाले ,
डग सफलता का भरे !
जगह छूटी है नहीं जो ,
रिक्तता से वो डरे !
भाल दमके दर्प से जो ,
देखता संसार है !!
एक घर छूटा रहा तब ,
है बसाया दूसरा !
डोलती नीयत न भाए ,
नेत्र खोले तीसरा !
चेतना संचार करती ,
कर रही उपकार है !!
बेटियाँ काबिल हुई हैं ,
बाप को भी नाज़ है !
कदम चूमें सफलताएं ,
बदलते अंदाज़ हैं !
है उठी नज़रें सभी की ,
अधर पर मनुहार है !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर (मध्यप्रदेश )