Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Sep 2021 · 1 min read

आज की दुनिया एक तमाशा है !

आज की दुनिया एक तमाशा है !
•••••••••••••••••••••••••••••••••
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐

आज की ये दुनिया एक तमाशा है।
नहीं कुछ भी ख़ास इससे आशा है।
कुछ लोगों की नीयत यहाॅं ठीक नहीं।
मिलती थोड़ी खुशी ज़्यादा निराशा है।।

स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 09 सितंबर, 2021.
“”””””””””””””””””””””””””””””””””
??????????

Language: Hindi
5 Likes · 2 Comments · 445 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मन का आँगन
मन का आँगन
Mamta Rani
चंद मुक्तक- छंद ताटंक...
चंद मुक्तक- छंद ताटंक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
✍️ दोहा ✍️
✍️ दोहा ✍️
राधेश्याम "रागी"
*अहंकार*
*अहंकार*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पर स्त्री को मातृशक्ति के रूप में देखना हनुमत दृष्टि है, हर
पर स्त्री को मातृशक्ति के रूप में देखना हनुमत दृष्टि है, हर
Sanjay ' शून्य'
सफाई कामगारों के हक और अधिकारों की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'आखिर कब तक'
सफाई कामगारों के हक और अधिकारों की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'आखिर कब तक'
Dr. Narendra Valmiki
"ताकीद"
Dr. Kishan tandon kranti
🙅मतगणना🙅
🙅मतगणना🙅
*प्रणय*
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सबने पूछा, खुश रहने के लिए क्या है आपकी राय?
सबने पूछा, खुश रहने के लिए क्या है आपकी राय?
Kanchan Alok Malu
तुमने - दीपक नीलपदम्
तुमने - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
पुरानी खंडहरों के वो नए लिबास अब रात भर जगाते हैं,
पुरानी खंडहरों के वो नए लिबास अब रात भर जगाते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रहगुज़र में चल दिखाता आइनें
रहगुज़र में चल दिखाता आइनें
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
🍁🍁तेरे मेरे सन्देश-10🍁🍁
🍁🍁तेरे मेरे सन्देश-10🍁🍁
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
# TRUE THING
# TRUE THING
DrLakshman Jha Parimal
*तेरे इंतज़ार में*
*तेरे इंतज़ार में*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
I want to collaborate with my  lost pen,
I want to collaborate with my lost pen,
Sakshi Tripathi
जो जुल्फों के साये में पलते हैं उन्हें राहत नहीं मिलती।
जो जुल्फों के साये में पलते हैं उन्हें राहत नहीं मिलती।
Phool gufran
होके रुकसत कहा जाओगे
होके रुकसत कहा जाओगे
Awneesh kumar
बंटवारा
बंटवारा
Shriyansh Gupta
କେମିତି ଜୀବନ
କେମିତି ଜୀବନ
Otteri Selvakumar
मैं सोचता हूँ कि आखिर कौन हूँ मैं
मैं सोचता हूँ कि आखिर कौन हूँ मैं
VINOD CHAUHAN
*पुस्तक (बाल कविता)*
*पुस्तक (बाल कविता)*
Ravi Prakash
सुनो जीतू,
सुनो जीतू,
Jitendra kumar
" अधरों पर मधु बोल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
बेदर्दी मौसम🙏
बेदर्दी मौसम🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
2778. *पूर्णिका*
2778. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दिखावटी लिबास है
दिखावटी लिबास है
Dr Archana Gupta
रामभक्त हनुमान
रामभक्त हनुमान
Seema gupta,Alwar
Loading...