मेरा दिल अंदर तक सहम गया..!!
ये जो दुनियादारी समझाते फिरते हैं,
नजरें खुद की, जो अक्स से अपने टकराती हैं।
ग़ज़ल _नसीब मिल के भी अकसर यहां नहीं मिलता ,
मुक्तक - यूं ही कोई किसी को बुलाता है क्या।
तुमने मेरा कहा सुना ही नहीं
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
आत्मनिर्भर नारी
Anamika Tiwari 'annpurna '
हर काम की कोई-ना-कोई वज़ह होती है...
तुम ऐसे उम्मीद किसी से, कभी नहीं किया करो
तुझसे यूं बिछड़ने की सज़ा, सज़ा-ए-मौत ही सही,
लोग जाने किधर गये
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*आधा नभ में चंद्रमा, कहता मॉं का प्यार (कुंडलिया)*