हर एक से छूटा है राहों में अक्सर.......
*आंखों से जाम मुहब्बत का*
यदि धन है और एक सुंदर मन है
*गॉंधी जी मानवतावादी, गॉंधी जी के उर में खादी (राधेश्यामी छं
“तड़कता -फड़कता AMC CENTRE LUCKNOW का रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम” (संस्मरण 1973)
* बाँझ न समझो उस अबला को *
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
प्रकृति का दर्द– गहरी संवेदना।
बड़ी बहु को नौकर छोटी की प्रीत से
Upon waking up, oh, what do I see?!!
शादी के बाद में गये पंचांग दिखाने।
वक्त ये बदलेगा फिर से प्यारा होगा भारत ,
वफ़ा की परछाईं मेरे दिल में सदा रहेंगी,
कोई त्योहार कहता है कोई हुड़दंग समझता है