Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jan 2019 · 1 min read

“आज कि शिक्षण प्रणाली”

कया वो भी दीन थे,
जब मै स्कूल जाता था.
अपनी ही मस्ती मे,
स्कूल पोहच जाता था…

दोही कीताबे रहते थे,
एक ही बुक मे सब लिखता था.
कीताबो से जादा हमे,
मैदानी खेल रहता था…

मेरे किताबे मेरे बाद,
मेरे भाई बहन यूज करते थे.
और भाई बहन ना रहे तो,
आधि किंमत मे बेच देते थे…

तब पडणे के लीए,
कितना कम खर्चा आता था.
हर घर का गरिब से गरिब,
बच्चा तब पड सकता था…

आज मै अपने बच्चो को देखता हु,
उनसे जादा वेट उनके बस्ते का होता है.
उनके उमर से जादा,
उनके कीताबे होते है…

हर साल उनकी कीताबे,
नई लेणी पडती है.
और उनकी पुरानी कीताबो को,
कचरे मे फेकनी पडती है…

अब तो शिक्षण सिर्फ,
नाम का हो गया है.
शिक्षण के नाम पर तो अब,
सिर्फ लूट ही लूट मची है…

Language: Hindi
224 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कविता-मरते किसान नहीं, मर रही हमारी आत्मा है।
कविता-मरते किसान नहीं, मर रही हमारी आत्मा है।
Shyam Pandey
सिकन्दर बन कर क्या करना
सिकन्दर बन कर क्या करना
Satish Srijan
पूरा दिन जद्दोजहद में गुजार देता हूं मैं
पूरा दिन जद्दोजहद में गुजार देता हूं मैं
शिव प्रताप लोधी
बुद्ध बुद्धत्व कहलाते है।
बुद्ध बुद्धत्व कहलाते है।
Buddha Prakash
स्वयं द्वारा किए कर्म यदि बच्चों के लिए बाधा बनें और  गृह स्
स्वयं द्वारा किए कर्म यदि बच्चों के लिए बाधा बनें और गृह स्
Sanjay ' शून्य'
"नाश के लिए"
Dr. Kishan tandon kranti
हकीकत जानूंगा तो सब पराए हो जाएंगे
हकीकत जानूंगा तो सब पराए हो जाएंगे
Ranjeet kumar patre
मैं अपने सारे फ्रेंड्स सर्कल से कहना चाहूँगी...,
मैं अपने सारे फ्रेंड्स सर्कल से कहना चाहूँगी...,
Priya princess panwar
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
3342.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3342.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
बुरा न मानो, होली है! जोगीरा सा रा रा रा रा....
बुरा न मानो, होली है! जोगीरा सा रा रा रा रा....
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
चलो कहीं दूर जाएँ हम, यहाँ हमें जी नहीं लगता !
चलो कहीं दूर जाएँ हम, यहाँ हमें जी नहीं लगता !
DrLakshman Jha Parimal
चंद अशआर
चंद अशआर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
ये इश्क़-विश्क़ के फेरे-
ये इश्क़-विश्क़ के फेरे-
Shreedhar
मैं भूत हूँ, भविष्य हूँ,
मैं भूत हूँ, भविष्य हूँ,
Harminder Kaur
आज के युग में नारीवाद
आज के युग में नारीवाद
Surinder blackpen
ज़िंदगी एक जाम है
ज़िंदगी एक जाम है
Shekhar Chandra Mitra
टूटा हूँ इतना कि जुड़ने का मन नही करता,
टूटा हूँ इतना कि जुड़ने का मन नही करता,
Vishal babu (vishu)
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
प्रभु जी हम पर कृपा करो
प्रभु जी हम पर कृपा करो
Vishnu Prasad 'panchotiya'
बैठी रहो कुछ देर और
बैठी रहो कुछ देर और
gurudeenverma198
#drArunKumarshastri
#drArunKumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ब्रांड. . . .
ब्रांड. . . .
sushil sarna
ज़िन्दगी में
ज़िन्दगी में
Santosh Shrivastava
इक चितेरा चांद पर से चित्र कितने भर रहा।
इक चितेरा चांद पर से चित्र कितने भर रहा।
umesh mehra
कितना खाली खालीपन है !
कितना खाली खालीपन है !
Saraswati Bajpai
रास्तो के पार जाना है
रास्तो के पार जाना है
Vaishaligoel
आंख मेरी ही
आंख मेरी ही
Dr fauzia Naseem shad
*आत्मा की वास्तविक स्थिति*
*आत्मा की वास्तविक स्थिति*
Shashi kala vyas
Loading...