*आज का सवाल*
#सवाल-
■ वर्तमान परिवेश में।।
[प्रणय प्रभात]
“हिंसा के तीखे हमलों से,
कांप रही हैं दसों दिशाएं।
ऐसे में किस मुंह से कह दें,
होठों पर मुस्कान सजाएं।।”
😢😢😢😢😢😢😢😢😢
#मन्तव्य-
मुस्कान का अंकुरण आंतरिक आंनद से अधरों पर नैसर्गिक रूप से होता है। विकृत परिदृश्यों के बीच बनावटी अभियानों या निरर्थक उपदेशों से नहीं।
मेरा मानना है कि लोकाचरण समय से प्रभावित होता है। मानवीय स्वभाव तथा सोच पर देश काल और वातावरण अलग से अपना प्रभाव दिखाते हैं। ऐसे में किसी से आज के परिवेश में झूठी मुस्कान व नक़ली हँसी की अपेक्षा उचित नहीं।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)