आज का विद्यार्थी जीवन
आज के विद्यार्थी का जीवन,
बड़ा बेहाल है।
पढ़ाई करने का न किसी ,
को ख्याल है ।
अध्यापक के प्रति न किसी,
के मन में मान है ।
शायद खो गया इनका कहीं ,
आत्मसम्मान है।
पहले 12वीं तक विद्यार्थी,
जीवन होता था ।
आज केवल पांचवी या छठी ,
तक ही विद्यार्थी जीवन की संभाल है ।
तभी तो आज के विद्यार्थी का जीवन बेहाल है ।
पहले विद्यार्थियों में सच्चाई ,
ईमानदारी कूट-कूट,
कर भरी होती थी ।
भले ही अध्यापक के,
डंडे पड़ जाए।
पर कापी न कभी,
नकल से पूरी होती थी।
आज महज़ अध्यापक की,
मार से बचने की सोचते हैं ।
किसी को भी भविष्य में,
पढ़ने वाली मार का न ख्याल है ।
तभी तो आज के विद्यार्थी,
का जीवन बेहाल है ।
विद्यार्थी जीवन का पहले,
एक असूल होता था ।
यह आज का जो फैशन है,
पहले यह विद्यार्थियों के,
पैरों की धूल होता था ।
पहले इतने स्कूल नहीं थे,
या यूं कह लो पढ़ने का ,
ज्यादा रिवाज भी नहीं था ।
पर आज के विद्यार्थियों ,
की तरह एक भी विद्यार्थी,
असभ्य नहीं था ।
मैं यह नहीं कहती कि,
आज पहले जैसे विद्यार्थी नहीं है ।
पर ना जाने क्यों सुतीशा राजपूत के इलाके में नहीं है।