*युगपुरुष महाराजा अग्रसेन*
गर्त में था तो सांत्वना थी सहानुभूति थी अपनो की
आज के रिश्ते में पहले वाली बात नहीं रही!
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद – तपोभूमि की यात्रा – 06
"ऐ वतन, ऐ वतन, ऐ वतन, मेरी जान"
लोग भी हमें अच्छा जानते होंगे,
*शीर्षक - प्रेम ..एक सोच*
बहराइच की घटना पर मिली प्रतिक्रियाओं से लग रहा है कि लोहिया
माँ कहती है खुश रहे तू हर पल
मायड़ भासा री मानता
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
सांझ सुहानी मोती गार्डन की
तू मेरी रोशनी मैं तेरा दीपक हूं।