आज का बदलता माहौल
आज का बदलता दौर
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खुशबू आती नहीं मकानों में
प्यार मिलता नहीं दुकानों में
खुशबू आती नहीं……….
सभी अपने में व्यस्त रहते हैं
घर भी बदलें है गमखानों में
खुशबू आती नहीं…………
घड़े को खा गया फ्रीज बड़ा
प्यार भी रह गया अफसानों में
खुशबू आती नहीं…………
बैठते साथ ना कभी मिलकर
सभी गुम है अपने अफसानों में
खुशबू आती नहीं………….
बूढ़े मां बाप अकेले रहते हैं
जैसे कोई ना हो घरानों में
खुशबू आती नहीं……….
महक रिश्तों से अब नहीं आती
तन्हाई छा गई इतनी मकानों में
खुशबू आती नहीं……….
सारी खुशियां डस गया ये मोबाईल
घर भी बदलें है अब शुनशानों में
खुशबू आती नहीं………..
वक्त कैसा ये बदला है “सागर”
रिश्ते बस रह गये अफसानों में
खुशबू आती नहीं मकानों में !!
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मूल गीतकार…. बेख़ौफ़ शायर
डॉ. नरेश “सागर”
9149087291
मुरादपुर, सागर कालोनी,हापुड़