आज का प्रजतन्त्र
भोली भाली जनता की कौन सुने आवाज,
नेता बहरे हो गए,प्रजतन्त्र में सभी आज |
पढ़े लिखे बेकार घूम रहे,उन्हें मिले न काज ,
बे पढ़े मजे ले रहे ओढ़ रहे वे सत्ता का ताज |
गूंगा गाता बहरा ताल लगाता सत्ता में आज ,
वोटो पर नोटों का राज प्रजातंत्र ऐसा आज |
लगड़ा नाचे अँधा देखे प्रजातंत्र में सब आज,
देखो भैया फिर भी करते प्रजतन्त्र पर नाज |
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम