भीनी भीनी आ रही सुवास है।
दम है तो गलत का विरोध करो अंधभक्तो
निरुद्देश्य जीवन भी कोई जीवन होता है ।
"काम करने का इरादा नेक हो तो भाषा शैली भले ही आकर्षक न हो को
तीन औरतें बेफिक्र जा रही थीं,
मैं हिंदी में इस लिए बात करता हूं क्योंकि मेरी भाषा ही मेरे
*महामना जैसा भला, होगा किसका काम (कुंडलिया)*
फिर कैसे विश्राम हो कोई ?
जिंदगी कैमेरा बन गयी है ,
वो मुझे अपना पहला प्रेम बताती है।
मोहब्बतों की डोर से बँधे हैं
छन्द- वाचिक प्रमाणिका (मापनीयुक्त मात्रिक) वर्णिक मापनी – 12 12 12 12 अथवा – लगा लगा लगा लगा, पारंपरिक सूत्र – जभान राजभा लगा (अर्थात ज र ल गा)
मूँछ पर दोहे (मूँछ-मुच्छड़ पुराण दोहावली )
माना कि हम बेवफा हैं, 2 पर ए मेरे यार तुम तो बेवफा ना थे।
इतना तो करम है कि मुझे याद नहीं है