आज का दर्द
जन्म जिससे तु पाता है
फिर क्यु उसे तडपाता है
भगवान भी करे जिसकी पूजा
उस स्त्री जैसा नही कोई दूजा
ये मत सोच तु किस्मत का धनी है
तेरी हर एक सांस उसी की ऋणी है
तेरी रगो में बहता खून बन गया पानी
जिससे ये सृष्टि चले उसको दिखाता है अपनी जवानी
मर्द है तो कर्म कर
अपने किये पर शर्म कर
कहां गया वो खून जो खौलता था चीरहरण पर
पहले उस खून को थोडा गर्म कर
कहते है हर इंसान में भगवान है
लेकिन तुम्हारे अन्दर सिर्फ शैतान है
किया जैसा उसको वैसा फल देदो
हो ना ऐसे नीच काम मुझे वो कल देदो
माता का हुआ था हरण तो जली थी लंका
फिर आज क्यु पापी को जलाने में कोई शंका
अगर किया नही कुछ तो ऐसा ही होगा,कभी निर्भया ,आसिफा और अगला नाम तुम्हारा ही होगा।
©नितिन पंडित