आज का कल
जिंदगी को हार का मय मत बना
आज में जी, आज का कल मत बना।।
पत्थरों को देख फिर चाहे जो कर
उड़ना है उड़,रेत का घर मत बना।।
शादी का सीजन है आया जाया कर
जिंदगी को कल का सरकश मत बना।।
दे या ना दे जिंदगी तू फिर से पर
हर किसी को मेरा तू रब मत बना।।
तितलियों से दोस्ती कर, काम ले
बैठे बैठे कागजी पर मत बना।।
उसकी यादों के बजा सरगम यहां
दिल के हर इक पेज़ को खत मत बना।।
तेरे मेरे दरम्यां कल जो हो,हो
कहती हैं शब बर्फ का छत मत बना।।
नितु साह
हुसेना बंगरा सीवान-बिहार