Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jun 2019 · 1 min read

आज का आदमी –

आज का आदमी कितना व्यस्त,
कितना एकाकी, कितना अकेला।
तल्लीन है फाइलों में,
एक अजीब सी हलचल है दिमाग़ में,
पता नहीं क्या खोज़ रहा था ,और क्या मिल गया।
देखकर ऐसा प्रतीत होता जैसे,
दिमाग़ का थैला भर गया है नकारात्मक विचारों से
,बेचारा ऑनलाइन काम से पहले ही ऑफलाइन हो गया।
योगा मेडीटेशन सिर्फ पत्रिका या चैनल पर देख पाता है।
ऑफिस आज जैसे जंग का मैदान हो गया है।
लिपिक और अधिकारी के तालमेल के अभाव में ,
दिमागों में घमासान हो गया है।
यहां हर कोई कमाना चाहता है अतिरिक्त,
जो वेतन अकाउंट में आता है,
उ ससे उसे कोई सरोकार ही नहीं है।
समझ नहीं आता कि क्या लेे जाना चाहता है शाम को घर।
एक टोकरी भर फल, ,ढेर सारा तनाव और दबाव अनजाना सा डर।
जैसे ही घर में प्रवेश करता है ,खुद से पहले पहुंच जाता है उस नकारात्मक विचारों का असर।
चुपचाप थका मांदा बैड पर जाता है पसर,
न तो फल न ही लेे पाता है भोजन।
खोजने लगता है कार्यवाही की जबाव देही, असर
और साधने लग जाता है अपने स्वास्थ्य को भूलकर रिश्तों और पहुंच का प्रयोजन।
सोचते सोचते पता ही न चला कि कब रात हुई और कब भोर हो गई आज नींद की गोलियां भी बेअसर हो गई।
उठा फ्रैश हुआ सोचते सोचते चाय पी,
टिफिन उठाया और फिर एक अनजानी सी राह पर चल पड़ा ।
न जाने व्यस्त मस्त या फ़िर से उतना ही अकेला।
रेखा दिशा विहीन मंजिल तक कैसे जायेगा धकेला।

Language: Hindi
2 Likes · 383 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कुण्डलिया-मणिपुर
कुण्डलिया-मणिपुर
दुष्यन्त 'बाबा'
24/231. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/231. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
यह ज़मीं है सबका बसेरा
यह ज़मीं है सबका बसेरा
gurudeenverma198
दादी की वह बोरसी
दादी की वह बोरसी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
*मेरे साथ तुम हो*
*मेरे साथ तुम हो*
Shashi kala vyas
हाजीपुर
हाजीपुर
Hajipur
सिकन्दर बनकर क्या करना
सिकन्दर बनकर क्या करना
Satish Srijan
टैगोर
टैगोर
Aman Kumar Holy
"लक्ष्मण-रेखा"
Dr. Kishan tandon kranti
जग की आद्या शक्ति हे ,माता तुम्हें प्रणाम( कुंडलिया )
जग की आद्या शक्ति हे ,माता तुम्हें प्रणाम( कुंडलिया )
Ravi Prakash
माँ सरस्वती अन्तर्मन मन में..
माँ सरस्वती अन्तर्मन मन में..
Vijay kumar Pandey
हिन्दी
हिन्दी
manjula chauhan
खूबसूरत, वो अहसास है,
खूबसूरत, वो अहसास है,
Dhriti Mishra
बेटियां
बेटियां
Nanki Patre
गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
Hanuman Ramawat
*हर शाम निहारूँ मै*
*हर शाम निहारूँ मै*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जिंदगी को बड़े फक्र से जी लिया।
जिंदगी को बड़े फक्र से जी लिया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
"जब मिला उजाला अपनाया
*Author प्रणय प्रभात*
स्पीड
स्पीड
Paras Nath Jha
Never settle for less than you deserve.
Never settle for less than you deserve.
पूर्वार्थ
समझा दिया
समझा दिया
sushil sarna
💐प्रेम कौतुक-518💐
💐प्रेम कौतुक-518💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
🥀*अज्ञानीकी कलम*🥀
🥀*अज्ञानीकी कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
रिश्तों में...
रिश्तों में...
Shubham Pandey (S P)
जीवन का मकसद क्या है?
जीवन का मकसद क्या है?
Buddha Prakash
दानी
दानी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
यूं ही आत्मा उड़ जाएगी
यूं ही आत्मा उड़ जाएगी
Ravi Ghayal
खुलेआम जो देश को लूटते हैं।
खुलेआम जो देश को लूटते हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
वक्त का इंतजार करो मेरे भाई
वक्त का इंतजार करो मेरे भाई
Yash mehra
नज़्म/गीत - वो मधुशाला, अब कहाँ
नज़्म/गीत - वो मधुशाला, अब कहाँ
अनिल कुमार
Loading...