आज का अनमोल संदेश
————————-अपनी बुद्धि और विवेक का सदुपयोग करे तो पता चलता है प्रार्थना में बहुत बल है प्रार्थना भगवान की तरफ से दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ उपहार है। संसार के बाकी काम तो बहुत तुच्छ है अतः हर रोज़ प्रार्थना करे सिर्फ और सिर्फ प्रभु से मिलन के लिए।
वास्तव में हमारा आत्मा परमात्मा एक ही है इस बात को मानते तो सभी है लेकिन इसे आत्मसात कर लेने वाला महा पुरुष बन जाता है वह किसी भी सुख दुख से प्रभवित नही होता और पाप पुण्यो को छोड़ कर आत्मा में ही रमण करने लगता है उस के सभी कर्म दिव्यता को प्राप्त होते है
हमारी दृष्टि जगत और जगत के पदार्थो को चीर कर केवल एक आत्म तत्व पर स्थिर होनी चाहिए। लोगो की धमकी और प्रशंसा को काट कर केवल आत्म तत्व पर दृष्टि रखो। अपनी इंद्रियों से काम न लो तो संसार का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा।
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