आज कहां वो राम मिलेगा
पिता की आज्ञा से वन जाए
ताज छोड़ कर के वन जाए
ऐसा कहां बलिदान मिलेगा
आज कहां वो राम मिलेगा
लखन लाल भी साथ में जाए
सेवक बन भाई कष्ट उठाए
कहां ऐसा गुण धाम मिलेगा
आज कहां वो राम मिलेगा
महल छोड़ सीता गई प्यारी
रही साथ नहीं कष्टों से सारी
कहां सकल सुख धाम मिलेगा
आज कहां वो राम मिलेगा
आज ना ऐसा पूत ना भाई
कहां पत्नी ऐसी मिले भाई
किसे’विनोद’हनुमान मिलेगा
आज कहां वो राम मिलेगा