हिंग्लिश में कविता (भोजपुरी)
इंग्लिश वींग्लीश के चक्कर में, मोर बहुते दिमाग झन्नाईल बा।
लिखले रहली हिंदी में कविता, ऊ हिंग्लिश में छपाईल बा।।
बन तू- तू, मैं- मैं यु एंड आई, जब आप क आदर भाव छिपावेले।
तब चाचा, मौसा, मामा, फूफा, सब के सब अंकल कहावेलें।।
दूधवा देवे वाला काऊ, दूध पिये वाला गाय कहाईल बा।
लिखले रहली हिंदी में कविता, ऊ हिंग्लिश में छपाईल बा।।
बिन चोट लगे सब मुहँ बनाई, काहें को हाये- हाय करे।
जेके टोकली कहि कहि के नमस्ते, उहे बायें- बाय करे।।
देखली आम आदमी भी गूगलवा पर, मैंगो मैन पढाईल बा।
लिखले रहली हिंदी में कविता, ऊ हिंग्लिश में छपाईल बा।।
एक दिन जिमे गइनी जजीमाने, ऊहवां फीका खीर मिलल।
कहनी ह बा भेली गूड़ त लाईं, त सब थैंक्यू थंकु कहे लगल।।
समझ के वेरी गुड भर के कटोरी, ख़िरवे आगे धराईल बा।
लिखले रहली हिंदी में कविता, ऊ हिंग्लिश में छपाईल बा।।
हम अंग्रेजी में निपट गवाँर, जेकर मन शहरे में अटकल बा।
जोते वाला खेतवा के बैल, काहें डोर बेल बन लटकल बा।।
सोचत सोचत ईहे बतिया, मथवा के नसिया खिचाईल बा।
लिखले रहली हिंदी में कविता, ऊ हिंग्लिश में छपाईल बा।।
उलट पुलट सब करके देखनी, अर्थ के समूचे अनर्थ भईल।
ई इंग्लिश वालन के पढ़ाई, लागत बा कि सब व्यर्थ भईल।।
छोड़ी के नटई इनकर त फ़सरी, अपने नेक फ़साईल बा।
लिखले रहली हिंदी में कविता, ऊ हिंग्लिश में छपाईल बा।।
हिंदी ह सोच विचार के भाषा, अंग्रेजी से हमके डाउट भईल।
अंदर- बाहर, इन एंड आउट, सुनकर मनवा गेट आउट हुआ।।
तबसे पढल- लिखल “चिद्रूप”, अंग्रेजी से दूर पराईल बा।
लिखले रहली हिंदी में कविता, ऊ हिंग्लिश में छपाईल बा।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप” (सर्वाधिकार सुरक्षित २०/०२/२०२०)