Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2024 · 1 min read

आज उपेक्षित क्यों भला,

आज उपेक्षित क्यों भला,
बेटों से माँ बाप ।
पुत्र घात का सह रहे,
तन्हाई में ताप ।।

सुशील सरना / 15-7-24

35 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
यादों की शमा जलती है,
यादों की शमा जलती है,
Pushpraj Anant
पहने कपड़े सुनहरे चमकती हुई
पहने कपड़े सुनहरे चमकती हुई
Sandeep Thakur
यदि केवल बातों से वास्ता होता तो
यदि केवल बातों से वास्ता होता तो
Keshav kishor Kumar
पहले से
पहले से
Dr fauzia Naseem shad
जाति बनाने वालों काहे बनाई तुमने जाति ?
जाति बनाने वालों काहे बनाई तुमने जाति ?
शेखर सिंह
विचार, संस्कार और रस [ दो ]
विचार, संस्कार और रस [ दो ]
कवि रमेशराज
वक्त बदलते ही चूर- चूर हो जाता है,
वक्त बदलते ही चूर- चूर हो जाता है,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
I Haven't A Single Things in My Life
I Haven't A Single Things in My Life
Ravi Betulwala
हमारे प्यार की सरहद नहीं
हमारे प्यार की सरहद नहीं
Kshma Urmila
भाई
भाई
Dr.sima
गर्दिश में सितारा
गर्दिश में सितारा
Shekhar Chandra Mitra
#आमंत्रित_आपदा
#आमंत्रित_आपदा
*प्रणय प्रभात*
पहली बारिश
पहली बारिश
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
* काव्य रचना *
* काव्य रचना *
surenderpal vaidya
बारिश
बारिश
Punam Pande
आज का युद्ध, ख़ुद के ही विरुद्ध है
आज का युद्ध, ख़ुद के ही विरुद्ध है
Sonam Puneet Dubey
No love,only attraction
No love,only attraction
Bidyadhar Mantry
मोह की समाप्ति भय का अंत है,
मोह की समाप्ति भय का अंत है,
पूर्वार्थ
हिंद दिवस को प्रणाम
हिंद दिवस को प्रणाम
Shyamsingh Lodhi Rajput (Tejpuriya)
होठों को रख कर मौन
होठों को रख कर मौन
हिमांशु Kulshrestha
कविता माँ काली का गद्यानुवाद
कविता माँ काली का गद्यानुवाद
गुमनाम 'बाबा'
सम्भाला था
सम्भाला था
भरत कुमार सोलंकी
किसी भी बहाने से उसे बुलाया जाए,
किसी भी बहाने से उसे बुलाया जाए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
Rj Anand Prajapati
"किसी ने सच ही कहा है"
Ajit Kumar "Karn"
परेड में पीछे मुड़ बोलते ही,
परेड में पीछे मुड़ बोलते ही,
नेताम आर सी
सारे ही चेहरे कातिल है।
सारे ही चेहरे कातिल है।
Taj Mohammad
पत्थर के फूल
पत्थर के फूल
Dr. Kishan tandon kranti
💫समय की वेदना😥
💫समय की वेदना😥
SPK Sachin Lodhi
2466.पूर्णिका
2466.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...