आज उनसे फ़िर से मुलाकात हुई
आज उनसे फिर से
मुलाकात हुई
जैसे-तैसे
कुछ बात हुई
वो मुझे नज़र आ रही थी
बदली-बदली सी
उसे भी लगा
शायद ऐसा ही कुछ
आज फिर बिसरे दिन
याद आ गए
भीगी रातें, सूनी सड़कें
रातों का जगना
रातों बतियाना..
आज फिर लगा देखने से उसे
वो मासूम तो थी ही
तनिक मायूस भी
उसके उन दिनों का ज़र्राता चेहरा
जैसा आज कुछ नहीं था
पहली जैसी उँची आवाज़ बंद थी
सिसकियाँ भरे बस स्वर थे बस
हाँ वो चाहते हुवे भी
वो नहीं बोल पाई आज भी
वो विवश थी….
वो परेशां भी शायद थी
मगर वो । ।। वो ही थी
ऐसा मैं यकीं से कह
सकता हूँ ..
पहली दफा से लेकर
अबतलक तक..वो
वो वो वो …..Be Continue
✍️Brij