ज़रा सी बात पर ghazal by Vinit Singh Shayar
आज आँखें हुई हैं नम ज़रा सी बात पर
मुझसे रूठा मेरा सनम ज़रा सी बात पर
मेरी बातों पर ऐतबार नहीं अब उनको
आज खाना पड़ा कसम ज़रा सी बात पर
मेरी हालत का नहीं मुझे कोई अंदाज़ा
और भटका हुआ है मन ज़रा सी बात पर
बहते आँसू को भला मैं रोक दूँ कैसे
हुई सीने में है जलन ज़रा सी बात पर
हक़ीम आज ही नहीं काम के कब थे
हुआ नाकाम है मरहम ज़रा सी बात पर
~विनीत सिंह
Vinit Singh Shayar