आज अब्र भी कबसे बरस रहा है।
आज अब्र भी कबसे बरस रहा है।
नाजिल जैसे खुदा का कहर हो रहा है।।1।।
ऐसा लगता है सबकुछ डुबा देगा।
बूंदे आब से लगे कि सागर भर रहा है।।2।।
मिट्टीका घर बारिश में ढह गया है।
ज़ालिम अब्र ने उसे बेघर कर दिया है।।3।।
खेत मकान गांव शहर ऐसे डूबे है।
जैसे हमेशा से यहां समंदर रह रहा है।।4।।
ऐसा क्या गुनाह हो गया इंसा से।
खुदा कैसा तुम्हारा ये कहर हो रहा है।।5।।
हर सम्त आब ही आब है यहां पे।
तड़पता हुआ इंसा भूंख से मर रहा है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ