आजादी सिर्फ दिखावा नहीं
आजादी सिर्फ अभिव्यक्ति की ही नहीं……..
हम लोगों ने आजादी का उपयोग जरुरत के अनुसार नहीं बल्कि मन के अनुसार करते हैं। अगर मन के अनुसार ही जीना था तो ये संग्राम, मारकाट की क्या जरूरत थी। भारत भूमि तो जीवित भूमि है यहां जीवन के लिए जो भी आया प्रयास किया और फला फूला । और जीवन के लिए नहीं, परन्तु सत्ता संघर्ष तो तब भी था और आज भी है और अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है चलती रहेगी। परंतु कुछ लोगों ने सोचा कि हमें आजादी चाहिए और हमें अपनी जरूरतों के अनुसार जीना है, हमारी अपनी व्यवस्था होनी चाहिए जिसमें अपने जरुरत के अनुसार अपना जीवन चुन सके। बताइए कौन रोकता है इस देश में मौलवी को गीता तथा पंडित को कुरआन पढ़ने से, कौन रोकता है एक पढ़े लिखे को किसानी या मजदूरी करने से, कौन रोकता है हरिजन को संस्कृति पढ़ने से, कौन रोकता है पंडित को जूते की दूकान करने से, कौन रोकता है किसी को किसी की किसी कि जरूरत के अनुसार व्यापार करने से, सच पूछिए तो कोई नहीं रोकता। आज भी लोग अपने पारंपरिक काम को नई सोच व दिशा के साथ कर रहे है और सफल है या हो रहे है। मेरी समझ में बात तब बिगड़ी जब परिवार या व्यक्ति स्वाकलान अपनी जरूरत के अनुसार नहीं, मन के अनुसार करने लगा और उसको हवा दिया कुछ धूर्त बाजारू लोगों ने, जो सबमें भगवान बनने कि क्षमता देखने का प्रचार प्रसार किया और अपना काम किया । आपको अपने हाल पर छोड़ने के पहले, अभिव्यक्ति की आज़ादी का हत्थियार आप के हाथ में पकड़ा के सामाजिक भेड़ियों ( राजनीतिक दल के नेताओं ) के हवाले कर दिया, और अब तो आप की जरूरत बहुत पीछे छूट गई और आपको ही अपनी जरूरत तुच्छ लगने लगी और आप मन से जीने लगे। आप को ऐसा नशा दिया कि खुद को राम, कृष्ण, विवेकानंद, गांधी, सुभाष, तुलसी, कबीर, सूर, बुद्ध, परशुराम और जाने क्या क्या समझने लगे। आप असीमित हो गए और बिखर गए, लोटे के पानी थे, सड़क पर पड़े और सुख गए। शायद आप मुझसे सहमत न हो, यह स्वाभाविक है । परन्तु खुद से पूछें क्या खुद से सहमत हैं? अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा, आप सम्हाल सकते हो, अगली पीढ़ी को अपना जैसा खिलौना बनने से , सच बोल के। बताइए उनको कार्य कि आजादी का फायदा उठाएं। खुद, परिवार, समाज व देश के लिए कार्य करे। शाब्दिक आजादी बिना कर्म के अधूरी है। किसी का झंडा उठाने से बेहतर है अगली पीढ़ी के लिए डंडा उठाइए और उनको ठगने से बचा लीजिए। जो जिस लायक हो उसको वैसा काम करवाइए , जो नालायक होगा वह खुद झंडा और शाब्दिक आज़ादी ले लेगा बिना आपके प्रयास के। आशा है हम काम की आज़ादी का फायदा उठाएंगे और अपनी जरूरत के लिए काम करेंगे ।
🙏 साभार 🙏