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8 Oct 2022 · 2 min read

आजादी रो अमृत उछब

देस रा सगळा रैवासिया नै लक्की सा रा हिवणै तणी सूं घणी घणी अर मौकळी बधाईयां अरज हुवै सा।

बख्त आयो ह तिरंगा ध्वज नै प्रणाम करण रो,
टैम आयो ह आजादी रां अमृत उछब मनावण रो।

औ आपणो घणो मोटौ भाग है की आपणो जळम आजाद भारत री छत्र मांही हुयो। जकी आपा आपणी आख्यां सूं आजादी रो अमृत उछब दैखा हा। आज देस आपणी आजादी रो अमृत उछब घणी हरख सूं मना रयो ह। अमृत उछब रो अरथ भारत री आजादी रा 75 बरसा सूं है। आजादी रा ऐ 75 बरस घणी संघरषता सूं भरियोडा ह। घणां लोग ई आजादी सारु आपणा जीवण नै होम कर दियो। जिण तरह सूं आज आपा सगळा जणा जीवण जीवा हा, इण तरह रा जीवण री कल्पना आजादी रा साचां झुझारुं किणी बख्त करी ही, जकी आपा सगळा नै जीवण रो औसर मिल रयो है। आजादी सूं पैळा भारत रां लोगा रो जीवण घणी कठिनाईयां सूं भरियोडो हो। इक कांनी अंग्रेजां रा अत्यांचार हा, तो दूजी कांनी गरीबी अर कमरतोड लगानां री मार। अंग्रेज अफसर मन मानिया नियम अर लगान लोगां रै माथै थोप देता अर वसूली सारुं जुल्म री हदां लांग लेता। आपणी तिजौरियां भरण सारुं नितुगै अर दिनों दिन अंग्रेज घणां जुल्म भारत रा लोगां पर करयां, जिण सूं घाठा काया हुयर घणा ही लोग आपणा देस नै अंग्रेजां री गुलामी सूं आजादी रो सुपणो देख्यो अर इण सारु आपणी जान रो दाव लगा दियो। आजादी रा ऐ झुझारुं री इक ही सौगन ही कै, कियां भी कर ऐ अंग्रेजा नै आपणी जलमभौम सूं बहीर करणो। आपणी सौगन नै रुखाळण सारुं ऐडी सूं लगार चोटी तक रो जोर लगाय दियो अर अंग्रेजां नै आपणा देस सूं बारै खदेड दियो। 15 अगस्त 1947 रा दिन भारत री देव भूमी माथै सोनां रो सुरज उग्यो अर भारत गुलामी री बेड्या सूं आजाद हुयग्यो। पण ई आजादी सारुं भारत ने घणी मोटी किमत चुकाणी पडी, जकी सगळा सूं मोटी भारत अर पाकिस्तान रै बिचाळै सीमाणां बांधणी। ऐ ऐडा घाव ह, जका नै भरणो घणो दौरो काम है, भारत री आजादी भारत नै दो टुकडा में बांट दियो। अंग्रेज भारत सूं जाता थकां भी भारत नै जख्म री पीडा मांही छोडर ग्या। जकां रो दरद पाणी री सींव ज्यूं रैर रैर उठै ह।

Language: Rajasthani
Tag: लेख
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