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28 Jan 2022 · 1 min read

“आजादी महोत्सव”

“आजादी महोत्सव”

जहां बरसता है अमृत
वह माटी हिंदुस्तान की।
इसके लिए प्राण अर्पण हैं
शपथ हमें भगवान की।।

स्वतंत्रता के महाउत्सव में
अपना है गणतंत्र निराला।
सभी वर्ग के धर्मों का
प्रेम रस का है यह प्याला।।

भीमराव अंबेडकर
महानायक संविधान का।
ऊँच- नीच का भेद मिटाया
सत्ता के अभिमान का।।

सत्य सनातन संस्कारों की
पहन लंगोटिया गांधी ने।।
आजादी का बिगुल बजाया
हार मान ली आंधी ने।।

आंधी थी जो दमनचक्र की
अंग्रेजी साम्राज्य में ।
काला पन्ना इतिहास का
फाड़ा हमने रामराज्य में।।

लोकतंत्र के पहरेदारों
जागे रहो, जगाते रहो ।
आजादी के 75 वर्षों का
परिवर्धन करते रहो।।

जो सोने की चिड़िया थी
आज विकास में पलती है।
पूर्णतः विकसित होगी एकदिन
यह बात पड़ोसी को खलती है।।

आंख गड़ाए बैठे दुश्मन
चहुर दिशा सीमाओं पर।
चौकन्ना रहना होगा हमें
स्वाबलंबी भुजाओं पर ।।

वीरों के बलिदानों से
अमृतमहोत्सव मना रहे ।
त्याग, तपस्या, भाईचारा
देवभूमि पर बना रहे।।

स्वरचित
डॉ. रेखा सक्सेना।
मौलिक, अप्रकाशित

Language: Hindi
493 Views
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