आजादी (बाल कविता)
आजादी (बाल कविता)
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पिंजरे में कब मिट्ठू तोता
मन से गाता-हॅंसता
मिट्ठू का मन
घने जंगलों के पेड़ों में बसता
मिट्ठू तोता खूब जानता
आजादी क्या होती
पिंजरे में जो रहते
उनकी आजादी है खोती
एक दिवस आजाद कर दिया
हमने मिट्ठू तोता
झूमा-गाया मिट्ठू दीखा
नहीं कभी फिर रोता
बोला अब मैं जंगल-जंगल
पेड़-पेड़ जाऊॅंगा
आजादी मनभावन कितनी
सबको बतलाऊॅंगा
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रचयिता ः
रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 999 761 5451