आजादी के बाद
आजादी के बाद से, दिन-दिन भड़की आग !
सत्तर सालों बाद भी, ….नहीं सके हम जाग !
नही सके हम जाग, व्यर्थ ही लड़ें हमेशा !
नेता हैं बदकार,, …..लड़ाना उनका पेशा !
जनता भी नादान, ..करे खुद की बरबादी !
इसीलिए क्या मित्र, मिली हमको आजादी !!
रमेश शर्मा