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16 Aug 2018 · 1 min read

आजादी के बाद

आजादी के बाद से, दिन-दिन भड़की आग !
सत्तर सालों बाद भी, ….नहीं सके हम जाग !
नही सके हम जाग, व्यर्थ ही लड़ें हमेशा !
नेता हैं बदकार,, …..लड़ाना उनका पेशा !
जनता भी नादान, ..करे खुद की बरबादी !
इसीलिए क्या मित्र, मिली हमको आजादी !!
रमेश शर्मा

1 Like · 275 Views
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