आजादी की खुमारी
आजादी की की खुमारी या पढ़ ना जाए भारी।
सोच समझ के सो मत जाज्यो भारत का नर नारी।
यह आजादी सस्ती कोनी या महंगी छ आजादी ।
आजादी के खातिर जाण कतनी जान गंवा दी।
बड़ा जतन से मिली ऋ लाला, या आजादी प्यारी ।।
आजादी की खुमारी या पढ़ ना जाए भारी।
आजादी के कारण जाणे कतनी सूखी मेंहदी
आजादी के खातिर जाणे कतनी मांगा सूनी।
जाणे कतनी गोदी उजड़ी,कतनी ही रही कुंवारी।
आजादी की खुमारी में …….
आजादी क कारन आपण ,कतनी मोज्या मारा।
पण इंक खातिर काई कर छा , या भी तनिक बिचारा।
हाथ जोड़कर विनती सब सु,सुण ल्यो अरज या म्हारी।
आजादी की खुमारी या ..
दन रात म जाने कतना ,घुसपैठिया आ जाव।
लेकर अपना कुटिल इरादा आपन म मल जाव।
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पण फेर भी आपन सोता रेवा ,या राजनीति दुःखयारी।
आजादी की खुमारी…
कलम घिसाई