Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Aug 2024 · 1 min read

*********आजादी की कीमत***********

*********आजादी की कीमत***********
***********************************

आजादी की क्या होती है,तुम कीमत क्या जानो रे।
पिंजरे अन्दर बन्द परिंदा बन कर कीमत पहचानो रे।

रक्तकुण्ड में कितनो ने अमूल्य रक्त बहाया था
आजादी के परवानों ने जीवन दाव लगाया था
घर अन्दर दुबके बैठे ,तुम क्या कीमत जानो रे
पिंजरे अन्दर बन्द परिन्दा बनकर कीमत पहचानो रे

शमशीरों ने धूल चटाई गोरों की सरकारों को
जड़ से ही उखाड़ फैंका फिरंगी सरकारों को
भीरू प्रवृति वाले हो ,तुम क्या कीमत जानो रे
पिंजरे अन्दर बन्द परिन्दा बनकर कीमत पहचानो रे

शूरवीरों की शूरता से अमूल्य आजादी पाई है
माताओं के वीर जवानों ने निज जाने गंवाई है
भेंट में मिली आजादी,तुम क्या कीमत जानो रे
पिंजरे अन्दर बन्द परिन्दा बनकर कीमत पहचानो रे

खून से पाई आजादी जिसका कोई मोल नहीं
कण कण में सोया शहीद,शहीदी का तोल नहीं
खून खौलता नहीं तुम्हारा,तुम क्या कीमत जानो रे
पिंजरे अन्दर बन्द परिन्दा बनकर कीमत पहचानो रे

रणबांकुरों ने रणभूमि में पीठ नहीं दिखाई थी
पराक्रम की गर्जना सुनके चंडी भी घबराई थी
तन मन से है हारे बैठे,तुम क्या कीमत जानो रे
पिंजरे अन्दर बन्द परिंदा बनकर कीमत पहचानो रे

मनसीरत वंदन कर श्रद्धांजलि अर्पित करता है
देश की जान झौंक दी,सुमन समर्पित करता है
लोभ,मोह के भंवर फंसे,तुम कीमत क्या जानो रे
पिंजरे अन्दर बन्द परिन्दा बनकर कीमत पहचानो रे

आजादी की क्या होती है,तुम कीमत क्या जानो रे
पिंजरे अन्दर बन्द परिन्दा बनकर कीमत पहचानो रे
*************************************

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

1 Like · 68 Views

You may also like these posts

शीर्षक:जज़्बात ए ख़्याल
शीर्षक:जज़्बात ए ख़्याल
Dr Manju Saini
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कुछ भी नहीं हमको फायदा, तुमको अगर हम पा भी ले
कुछ भी नहीं हमको फायदा, तुमको अगर हम पा भी ले
gurudeenverma198
रुकना नहीं चाहता कोई
रुकना नहीं चाहता कोई
Shriyansh Gupta
प्रकृति ने अंँधेरी रात में चांँद की आगोश में अपने मन की सुंद
प्रकृति ने अंँधेरी रात में चांँद की आगोश में अपने मन की सुंद
Neerja Sharma
बचपन
बचपन
Rekha khichi
कुछ दोहे
कुछ दोहे
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
बाल कविता मोटे लाला
बाल कविता मोटे लाला
Ram Krishan Rastogi
जॉन तुम जीवन हो
जॉन तुम जीवन हो
Aman Sinha
ज्यों स्वाति बूंद को तरसता है प्यासा पपिहा ,
ज्यों स्वाति बूंद को तरसता है प्यासा पपिहा ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
फितरत की कहानी
फितरत की कहानी
प्रदीप कुमार गुप्ता
*माँ सरस्वती सत्यधाम हैं*
*माँ सरस्वती सत्यधाम हैं*
Rambali Mishra
हथेली में नहीं,
हथेली में नहीं,
Mahetaru madhukar
दो शे'र ( मतला और इक शे'र )
दो शे'र ( मतला और इक शे'र )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
मनोभाव
मनोभाव
goutam shaw
4040.💐 *पूर्णिका* 💐
4040.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
6) इंतज़ार
6) इंतज़ार
नेहा शर्मा 'नेह'
झिलमिल झिलमिल रोशनी का पर्व है
झिलमिल झिलमिल रोशनी का पर्व है
Neeraj Agarwal
8) “चन्द्रयान भारत की शान”
8) “चन्द्रयान भारत की शान”
Sapna Arora
"विडम्बना"
Dr. Kishan tandon kranti
सियासत
सियासत
हिमांशु Kulshrestha
इंसान बनाएंगे
इंसान बनाएंगे
अरशद रसूल बदायूंनी
■ आज़ाद भारत के दूसरे पटेल।
■ आज़ाद भारत के दूसरे पटेल।
*प्रणय*
हमनवा हमनवा
हमनवा हमनवा
दीपक झा रुद्रा
मैं बहुत कुछ जानता हूँ
मैं बहुत कुछ जानता हूँ
Arun Prasad
श्री गणेशा
श्री गणेशा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
कहमुकरी : एक परिचयात्मक विवेचन
कहमुकरी : एक परिचयात्मक विवेचन
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
यूँ धीरे-धीरे दूर सब होते चले गये।
यूँ धीरे-धीरे दूर सब होते चले गये।
लक्ष्मी सिंह
कोई यहाॅं बिछड़ते हैं तो कोई मिलते हैं,
कोई यहाॅं बिछड़ते हैं तो कोई मिलते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
Loading...