आजादी का जश्न
आजादी का जश्न हम खुशियों से मनाते चले,
पूर्वजों की अस्थियों पर दो फूल चढाते चले I
गाँधी, अम्बेदकर, सुभाष के त्यागों को कभी भुला न पाएंगे,
उनकी यादों बगैर पर्व “जश्न ए आजादी” को मना न पाएंगे,
भगत, अशफाक, राजगुरु की शहादत को बिसरा न पाएंगे,
उनके आदर्शों बिना हम वतन को खुशहाल बना न पाएंगे I
आजादी का जश्न हम खुशियों से मनाते चले,
पूर्वजों की अस्थियों पर दो फूल चढाते चले I
“ राष्ट्रपिता ” के आदर्शों का मान जिस वतन में घट गया,
वो खूबसूरत वतन समझो तरक्की के रास्ते से भटक गया,
वतनवासी स्वप्नलोक के सपने दिन में देखते बस रह गया ,
कर्मयोगी न बनकर आखिर में वो हाथ मसलता रह गया,
आजादी का जश्न हम खुशियों से मनाते चले,
पूर्वजों की अस्थियों पर दो फूल चढाते चले I
जो वतन अपने पुरखों की शहादत को भूल जाती है,
नस्लें उसकी ज्ञान,हिम्मत,त्याग से दूर चली जाती हैं,
विरासत में पाई आजादी के मोल से दूर हो जाती है,
“सोने की चिड़िया”की किस्मत बस धरी रह जाती है,
आजादी का जश्न हम खुशियों से मनाते चले,
पूर्वजों की अस्थियों पर दो फूल चढाते चले I
महान बलिदानों से हमने आजादी का पावन दिन पाया,
लाखों भारतीयों ने आजादी के लिए अपना खून बहाया,
राजा हो या रंक सबने अपना लहू इस वतन पर लुटाया,
बेटों की कुर्बानियों को देकर भारत देश आजाद कराया I
आजादी का जश्न हम खुशियों से मनाते चले,
पूर्वजों की अस्थियों पर दो फूल चढाते चले I
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देशराज “ राज ”