Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Sep 2022 · 1 min read

आजादी एक और

—-
सारे शब्द जो कैद थे किसी एक मुट्ठी में
हो गया है बंधन मुक्त।
सहला सके और देख सके भर नजर
एकबार फिर।
भिगो सके इसका सम्पूर्ण बदन चुंबनों से
छू सके इसका अस्तित्व स्वतन्त्रता–युक्त।

उग आए थे इन दीवारों पर अनेक कान
संगीनें ताने
हमारे अपने घरों में बेपनाह।
खड़े-खड़े ही पकड़कर एक-एक कान
निकाल सके।
और पुनर्प्रतिष्ठित कर सके
मर्यादा के सारे श्वेत श्लोक
मिटा सके सारे ही मारक अंतर्दाह।

आदमी, आदमी न रहा था
हो गया था जैसे बकरियाँ और भेड़।
चाहे जिधर हांक दो।
जैसे शक,संदेह और विद्रोह का पर्याय।
हो सके हम आदमी फिर से पूरी आदमीयत में
मन और देह से।
तोड़ सके प्रथम सर्ग में ही
ऊँचे बहुत ऊँचे तक खींचे हुए सारे ही मेड़।

महावत ने भालेनुमा अंकुश से ऐसे गोदा कि
कवि कि कविता या कि आजादी के छंद
रह न सके थे निरंकुश।
हो गए थे वे मूक अथवा लगे थे
करने अवांक्षित व झूठ की प्रशंसा।
किन्तु महावत की निरंकुशता हमने तोड़ी।
सारे ही सुर ,तान,लय एक अंधी गुलामी से छूटी।
एक नए युग की संरचना को देने सहयोग
उठ सके हम एक बार फिर
कह सके निर्भय प्रशंसा को प्रशंसा।
———————————————————-
1977/पुनर्लिखित/ अरुण कुमार प्रसाद

Language: Hindi
124 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हम उफ ना करेंगे।
हम उफ ना करेंगे।
Taj Mohammad
ह्रदय की स्थिति की
ह्रदय की स्थिति की
Dr fauzia Naseem shad
"आधी दुनिया"
Dr. Kishan tandon kranti
यह सावन क्यों आता है
यह सावन क्यों आता है
gurudeenverma198
*
*"माँ महागौरी"*
Shashi kala vyas
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
अंसार एटवी
हमारे प्यार की सरहद नहीं
हमारे प्यार की सरहद नहीं
Kshma Urmila
2886.*पूर्णिका*
2886.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दुःख में स्वयं की एक अंगुली
दुःख में स्वयं की एक अंगुली
Ranjeet kumar patre
जीवन अप्रत्याशित
जीवन अप्रत्याशित
पूर्वार्थ
राम तुम भी आओ न
राम तुम भी आओ न
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
*साबुन से धोकर यद्यपि तुम, मुखड़े को चमकाओगे (हिंदी गजल)*
*साबुन से धोकर यद्यपि तुम, मुखड़े को चमकाओगे (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
मास्टरजी ज्ञानों का दाता
मास्टरजी ज्ञानों का दाता
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
घर का हर कोना
घर का हर कोना
Chitra Bisht
साल में
साल में
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
लोकतन्त्र के हत्यारे अब वोट मांगने आएंगे
लोकतन्त्र के हत्यारे अब वोट मांगने आएंगे
Er.Navaneet R Shandily
कुंडलिया - गौरैया
कुंडलिया - गौरैया
sushil sarna
बुरा नहीं देखेंगे
बुरा नहीं देखेंगे
Sonam Puneet Dubey
हक औरों का मारकर, बने हुए जो सेठ।
हक औरों का मारकर, बने हुए जो सेठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
"जुबांँ की बातें "
Yogendra Chaturwedi
हुनर का नर गायब हो तो हुनर खाक हो जाये।
हुनर का नर गायब हो तो हुनर खाक हो जाये।
Vijay kumar Pandey
अनुराग मेरे प्रति कभी मत दिखाओ,
अनुराग मेरे प्रति कभी मत दिखाओ,
Ajit Kumar "Karn"
प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षक
प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षक
डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
*शीतल शोभन है नदिया की धारा*
*शीतल शोभन है नदिया की धारा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*कौन है ये अबोध बालक*
*कौन है ये अबोध बालक*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
✍️ दोहा ✍️
✍️ दोहा ✍️
राधेश्याम "रागी"
यही है हमारी मनोकामना माँ
यही है हमारी मनोकामना माँ
Dr Archana Gupta
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
दोहा ,,,,,,,
दोहा ,,,,,,,
Neelofar Khan
घर नही है गांव में
घर नही है गांव में
Priya Maithil
Loading...