आज़ादी
आज़ादी हम लेकर रहेंगे दिल में ये ठाने
चले देश के लिए जान गंवाने
पानी की तरह लहू बहाने
ओ लोग थे ऐसे दीवाने.
अटल-अडिग थे उनके इरादे
नामुमकिन को मुमकिन बना दे
चेहरे थे ओ जाने-पहचाने.
ओ लोग थे ऐसे दीवाने.
जिद पे उनका डट जाना
मुश्किल है किसी से हट जाना
कोई माने या न माने
ओ लोग थे ऐसे दीवाने.
मानवता का फर्ज़ निभाने
मातृभूमि का कर्ज चुकाने
जो चले”विशाल”वीर मस्ताने
ओ लोग थे ऐसे दीवाने.